चीनी कैसे बनती है ( Shakkar Kaise Banti Hai )

जानिए शक्कर बनने की पूरी रोमांचक यात्रा, जहाँ खेतों में गन्ने की मीठास से लेकर फैक्ट्री की आधुनिक तकनीकों तक, हर कदम पर होती है शुद्धता और स्वाद की देखभाल। जानें कैसे आपकी रसोई तक पहुँचती है यह मीठी सौगात, एक रोचक और सरल सफर के साथ।

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नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि जो शक्कर हमारी चाय, मिठाइयों और मीठे पकवानों में स्वाद भरती है, वह आखिर बनती कैसे है? मीठी-मिठी शक्कर का सफर खेतों में खड़े गन्ने से शुरू होकर हमारी रसोई तक पहुँचने तक बहुत दिलचस्प होता है। गन्ने की मीठास को शुद्ध और सफेद शक्कर में बदलने की इस प्रक्रिया में मेहनत, समय और तकनीक का खास योगदान होता है।

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शक्कर बनाने का हर कदम गन्ने की कटाई से लेकर फैक्ट्री में प्रोसेसिंग, सुखाने और चमकाने तक बेहद रोचक है। तो आइए दोस्तों, जानते हैं इस मीठी सफर की पूरी कहानी, सरल और मजेदार भाषा में, ताकि आप भी समझ सकें कि आपके मीठे पलों की मिठास आखिर बनती कैसे है। चलिए शुरू करते हैं!

गन्ने की खेती और कटाई कैसे होती है?

शक्कर बनाने की शुरुआत होती है गन्ने की खेती से। गन्ना एक लंबा और मीठा पौधा होता है, जो खासतौर पर गर्म और नमी वाले इलाकों में उगाया जाता है। भारत में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में सबसे ज्यादा गन्ने की खेती होती है। गन्ना उगाने के लिए सबसे पहले किसानों को अच्छी मिट्टी और सही मौसम की जरूरत होती है। गन्ने की खेती के लिए गर्मियों और बारिश का मौसम सबसे अच्छा माना जाता है।

गन्ने की खेती और कटाई कैसे होती है
गन्ने की खेती और कटाई कैसे होती है

किसान सबसे पहले गन्ने के टुकड़ों को जमीन में बोते हैं। इन टुकड़ों को “गन्ने की कलम” कहा जाता है। यह कलमें धीरे-धीरे अंकुरित होकर बड़े पौधों में बदल जाती हैं। गन्ने के पौधों को बढ़ने के लिए काफी पानी की जरूरत होती है, इसलिए खेतों की नियमित सिंचाई की जाती है। इसके साथ ही, गन्ने को स्वस्थ रखने के लिए खाद और उर्वरकों का भी इस्तेमाल किया जाता है। पौधों की देखभाल के दौरान किसानों को यह भी देखना पड़ता है कि कोई कीड़ा या रोग गन्ने को नुकसान न पहुँचाए।

गन्ना पूरी तरह से पकने में लगभग 10 से 12 महीने का समय लेता है। जब गन्ना पककर मीठा और मोटा हो जाता है, तब उसकी कटाई का समय आ जाता है। कटाई के लिए किसान तेज धार वाले दरांती या मशीनों का उपयोग करते हैं। मशीनों की मदद से बड़ी मात्रा में गन्ना तेजी से काटा जा सकता है। कटाई के बाद गन्ने को छोटे-छोटे बंडलों में बांधकर कारखाने तक पहुँचाया जाता है, जहाँ शक्कर बनाने की अगली प्रक्रिया शुरू होती है।

यही होती है गन्ने की खेती और कटाई की पूरी प्रक्रिया, जो शक्कर बनने की दिशा में पहला और सबसे जरूरी कदम है।

गन्ने की सफाई और कारखाने तक परिवहन प्रक्रिया

जब गन्ने की कटाई हो जाती है, तो अगला जरूरी कदम होता है उसकी सफाई और कारखाने तक पहुँचाना। कटाई के बाद गन्ने पर मिट्टी, पत्ते और कई बार छोटे-छोटे कीड़े भी लगे होते हैं। इसलिए सबसे पहले गन्ने को अच्छे से साफ किया जाता है। सफाई के लिए गन्ने को पानी से धोया जाता है ताकि उस पर लगी धूल और गंदगी हट जाए। कई बार गन्ने की ऊपरी पत्तियों और सूखे हिस्सों को भी काटकर अलग कर दिया जाता है, क्योंकि ये शक्कर बनाने में काम नहीं आते।

गन्ने की सफाई और कारखाने तक परिवहन प्रक्रिया
गन्ने की सफाई की प्रक्रिया

सफाई के बाद गन्ने को बड़े-बड़े बंडलों में बांधा जाता है ताकि उसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके। गन्ने को कारखाने तक पहुँचाना बहुत जरूरी होता है क्योंकि गन्ने का रस कटाई के कुछ घंटों के भीतर ही निकालना होता है। अगर इसमें देरी हो जाए, तो गन्ने का रस खराब होने लगता है और इससे शक्कर की गुणवत्ता पर असर पड़ता है।

गन्ने को कारखाने तक पहुँचाने के लिए ट्रैक्टर, ट्रक या बैलगाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है। छोटे गाँवों में बैलगाड़ी का उपयोग आम है, जबकि बड़े इलाकों में ट्रकों और ट्रेनों से गन्ने को फैक्ट्रियों तक पहुँचाया जाता है। कारखाने तक पहुँचाने के दौरान यह ध्यान रखा जाता है कि गन्ना ज्यादा देर तक धूप में न रहे, क्योंकि इससे उसका रस सूख सकता है।

कारखाने तक परिवहन प्रक्रिया
कारखाने तक परिवहन प्रक्रिया

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान समय का खास ध्यान रखा जाता है ताकि गन्ने को जल्दी से जल्दी कारखाने में पहुँचाया जा सके और शक्कर बनाने की अगली प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसी तरह गन्ने की सफाई और परिवहन की प्रक्रिया शक्कर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होती है।

शक्कर बनाने के लिए गन्ने का रस कैसे निकाला जाता है?

जब गन्ना कारखाने में पहुँचता है, तो सबसे जरूरी काम होता है उसके रस को निकालना। गन्ने के रस से ही शक्कर बनाई जाती है, इसलिए यह प्रक्रिया बहुत ध्यान से की जाती है। सबसे पहले गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है ताकि उसे मशीन में डालना आसान हो सके। इसके बाद गन्ने को बड़ी-बड़ी मशीनों में डाला जाता है, जिन्हें “क्रशर” या “मिल” कहा जाता है। ये मशीनें गन्ने को दबाकर उसका रस निकालती हैं।

शक्कर बनाने के लिए गन्ने का रस कैसे निकाला जाता है?
शक्कर बनाने के लिए गन्ने का रस कैसे निकाला जाता है?

मशीनें गन्ने को इतनी जोर से दबाती हैं कि उसका सारा रस बाहर आ जाता है। रस के साथ-साथ कुछ ठोस हिस्से भी निकलते हैं, जिन्हें “बगास” कहा जाता है। बगास को शक्कर बनाने में इस्तेमाल नहीं किया जाता, लेकिन इसे फैक्ट्री में ईंधन के रूप में जलाया जाता है या फिर कागज और कार्डबोर्ड बनाने में काम लिया जाता है। इस तरह बगास भी बेकार नहीं जाता।

रस निकालते समय यह ध्यान दिया जाता है कि उसमें ज्यादा से ज्यादा मीठा हिस्सा निकले। इसलिए गन्ने को कई बार दबाया जाता है ताकि पूरा रस बाहर आ सके। रस निकलने के बाद उसे एक बड़े टैंक में इकट्ठा किया जाता है। यह रस हल्का हरा और गाढ़ा होता है, जिसमें गंदगी और छोटे-छोटे कण भी होते हैं।

इस प्रक्रिया में सबसे जरूरी होता है समय पर रस निकालना, क्योंकि अगर रस देर से निकाला जाए तो वह खट्टा हो सकता है और शक्कर बनाने लायक नहीं रहेगा। जब रस पूरी तरह से निकाल लिया जाता है, तब अगली प्रक्रिया में इसे साफ और शुद्ध किया जाता है ताकि इससे अच्छी गुणवत्ता वाली शक्कर बनाई जा सके।

गन्ने के रस की शुद्धिकरण प्रक्रिया

गन्ने का रस निकालने के बाद अगला जरूरी कदम होता है उसे साफ और शुद्ध करना। क्योंकि जब रस मशीनों से निकलता है, तो उसमें मिट्टी, छोटे पौधे के टुकड़े और दूसरी अशुद्धियाँ मिली होती हैं। अगर इन्हें साफ नहीं किया जाए, तो शक्कर अच्छी क्वालिटी की नहीं बन पाएगी। इसलिए रस को सबसे पहले बड़े-बड़े टैंकों में डाला जाता है, जहाँ उसे गर्म किया जाता है। गर्म करने से रस में मौजूद बैक्टीरिया और कीटाणु खत्म हो जाते हैं।

गन्ने के रस की शुद्धिकरण प्रक्रिया
गन्ने के रस की शुद्धिकरण प्रक्रिया

इसके बाद रस में चूना (लाइम) मिलाया जाता है। चूना मिलाने से रस में मौजूद गंदगी और अशुद्धियाँ ऊपर तैरने लगती हैं या नीचे बैठ जाती हैं। फिर इस गंदगी को धीरे-धीरे निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को “सड़न रोकना” या “शुद्धिकरण” कहा जाता है। इससे रस पूरी तरह से साफ और इस्तेमाल करने लायक हो जाता है।

फिर रस को एक और मशीन से गुजारा जाता है जिसे फिल्टर कहा जाता है। फिल्टर रस में बचे हुए छोटे-छोटे कणों को भी अलग कर देता है। अब जो रस बचता है, वह एकदम साफ और हल्के पीले रंग का होता है। इस साफ रस से ही शक्कर बनाई जाती है।

शुद्धिकरण प्रक्रिया में समय और तापमान का खास ध्यान रखा जाता है, ताकि रस का स्वाद और मिठास बनी रहे। यदि रस को ठीक से शुद्ध न किया जाए, तो शक्कर का रंग गहरा और गुणवत्ता खराब हो सकती है। जब रस पूरी तरह से शुद्ध हो जाता है, तब इसे उबालने और शक्कर के क्रिस्टल बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है।

शक्कर को सुखाने और चमकदार बनाने की प्रक्रिया

जब शक्कर के क्रिस्टल सिरप से अलग कर लिए जाते हैं, तो अगला जरूरी काम होता है उन्हें सुखाना और चमकदार बनाना। अगर शक्कर को अच्छी तरह से नहीं सुखाया जाए, तो इसके दाने आपस में चिपक सकते हैं और यह जल्दी खराब भी हो सकती है। इसलिए शक्कर को पूरी तरह से सूखा और साफ करना बहुत जरूरी होता है।

शक्कर को सुखाने और चमकदार बनाने की प्रक्रिया
शक्कर को सुखाने की प्रक्रिया

शक्कर को सुखाने के लिए बड़ी-बड़ी सुखाने वाली मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इन मशीनों में गर्म हवा छोड़ी जाती है, जिससे शक्कर के दानों में बची हुई नमी धीरे-धीरे उड़ जाती है। इस प्रक्रिया में तापमान का खास ध्यान रखा जाता है। अगर तापमान बहुत ज्यादा हो जाए, तो शक्कर पिघल सकती है, और कम हो तो वह अच्छे से सूखेगी नहीं। इसलिए इसे एकदम सही तापमान पर सुखाया जाता है।

जब शक्कर पूरी तरह से सूख जाती है, तो उसके दाने सख्त और सफेद हो जाते हैं। इसके बाद शक्कर को एक खास पॉलिशिंग प्रक्रिया से गुजारा जाता है ताकि वह चमकदार दिखे। पॉलिशिंग के लिए शक्कर के दानों को हल्के-हल्के घुमाया जाता है, जिससे उनके ऊपर की सतह चिकनी और चमकदार बन जाती है। यही कारण है कि बाजार में मिलने वाली शक्कर सफेद और चमकदार दिखाई देती है।

चमकदार बनाने की प्रक्रिया
चमकदार बनाने की प्रक्रिया

सुखाने और पॉलिशिंग की प्रक्रिया के दौरान यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि शक्कर के दाने समान आकार के हों। इससे शक्कर देखने में सुंदर लगती है और इसकी गुणवत्ता भी अच्छी बनी रहती है। जब शक्कर पूरी तरह से सूख और चमकदार हो जाती है, तो इसे पैकिंग के लिए तैयार किया जाता है।

शक्कर की गुणवत्ता की जांच कैसे की जाती है?

शक्कर को सुखाने और चमकदार बनाने के बाद अगला जरूरी कदम होता है उसकी गुणवत्ता की जांच करना। गुणवत्ता की जांच यह सुनिश्चित करती है कि शक्कर खाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित और साफ है। अगर शक्कर अच्छी गुणवत्ता की नहीं होगी, तो वह स्वाद में फीकी हो सकती है या जल्दी खराब हो सकती है।

शक्कर की गुणवत्ता की जांच कैसे की जाती है?
शक्कर की गुणवत्ता की जांच कैसे की जाती है?

सबसे पहले शक्कर के रंग की जांच की जाती है। अच्छी गुणवत्ता वाली शक्कर सफेद और चमकदार होती है। अगर शक्कर का रंग पीला या भूरा दिखता है, तो इसका मतलब है कि उसमें अशुद्धियाँ हैं और उसे दोबारा साफ करने की जरूरत होती है। इसके बाद शक्कर के दानों के आकार की जांच की जाती है। सभी दानों का आकार एक जैसा होना चाहिए। इससे शक्कर को स्टोर करना और पैक करना आसान हो जाता है।

इसके अलावा, शक्कर के स्वाद और मिठास की भी जांच की जाती है। फैक्ट्री में खास तरह की मशीनें होती हैं, जो शक्कर की मिठास मापती हैं। अगर शक्कर में मिठास कम पाई जाती है, तो उसे दोबारा प्रोसेस किया जाता है। शक्कर की नमी की भी जांच होती है। अगर शक्कर में ज्यादा नमी रह जाती है, तो वह चिपक सकती है और जल्दी खराब हो सकती है।

कई बार शक्कर के छोटे नमूने लेकर प्रयोगशाला (लैब) में भी भेजे जाते हैं। वहां विशेषज्ञ यह सुनिश्चित करते हैं कि शक्कर में कोई हानिकारक रसायन तो नहीं है। सभी जांच पूरी होने के बाद ही शक्कर को पैकिंग के लिए भेजा जाता है। गुणवत्ता जांच पूरी होने से यह भरोसा मिलता है कि बाजार में जो शक्कर पहुंचेगी, वह पूरी तरह से सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता की होगी।

शक्कर को पैकिंग और स्टोर करने की प्रक्रिया

जब शक्कर की गुणवत्ता की पूरी जांच हो जाती है, तो अगला महत्वपूर्ण कदम होता है उसे पैक करना और स्टोर करना। शक्कर को अच्छी तरह से पैक और स्टोर करना बहुत जरूरी है, ताकि यह लंबे समय तक साफ और सुरक्षित बनी रहे। अगर पैकिंग सही तरीके से नहीं की जाए, तो शक्कर में नमी आ सकती है और वह चिपक सकती है या खराब हो सकती है।

शक्कर को पैकिंग और स्टोर करने की प्रक्रिया
शक्कर को पैकिंग और स्टोर करने की प्रक्रिया

सबसे पहले शक्कर को बड़े-बड़े कंटेनरों में भरा जाता है। इसके बाद शक्कर को अपने वजन और जरूरत के हिसाब से छोटे और बड़े पैकेट्स में डाला जाता है। फैक्ट्री में अपने आप चलने वाली मशीनें होती हैं, जो शक्कर को सटीक मात्रा में तौलकर पैकेट्स में भरती हैं। इससे शक्कर बर्बाद नहीं होती और पैकिंग जल्दी होती है।

पैकिंग के लिए ऐसे प्लास्टिक बैग्स या कंटेनर इस्तेमाल किए जाते हैं, जो नमी और गंदगी से शक्कर को बचाते हैं। कुछ खास पैकेट्स में हवा को बाहर निकाल दिया जाता है ताकि शक्कर ज्यादा समय तक ताजी बनी रहे। बड़े-बड़े बैग्स में भरी गई शक्कर को स्टोर करने के लिए साफ और सूखी जगह पर रखा जाता है। स्टोर करने वाली जगह पर नमी और गंदगी से बचाव के पूरे इंतजाम किए जाते हैं।

इसके अलावा, शक्कर को चूहों और कीड़ों से बचाने के लिए स्टोरेज एरिया में साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। जब बाजार में भेजने का समय आता है, तो इन पैक्ड बैग्स और डिब्बों को ट्रकों में लोड करके दुकानों और सुपरमार्केट्स तक पहुंचाया जाता है। इस तरह से शक्कर सुरक्षित और साफ-सुथरी हालत में ग्राहकों तक पहुंचती है।

बाजार तक शक्कर कैसे पहुँचाई जाती है?

जब शक्कर की पैकिंग और स्टोर करने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो आखिरी और महत्वपूर्ण कदम होता है इसे बाजार तक पहुँचाना। बाजार तक शक्कर पहुँचाने के लिए सही और सुरक्षित तरीके का इस्तेमाल किया जाता है ताकि ग्राहकों को साफ और अच्छी गुणवत्ता वाली शक्कर मिल सके।

बाजार तक शक्कर कैसे पहुँचाई जाती है?
बाजार तक शक्कर कैसे पहुँचाई जाती है?

सबसे पहले फैक्ट्री से शक्कर को बड़े-बड़े ट्रकों, कंटेनरों और ट्रेनों में लोड किया जाता है। ट्रकों में शक्कर के पैकेट्स को इस तरह से रखा जाता है कि वे रास्ते में हिलने-डुलने या फटने न पाएं। कुछ बार शक्कर को समुद्री जहाजों के जरिए भी दूसरे देशों में भेजा जाता है। ट्रांसपोर्टेशन के दौरान शक्कर को धूल, गंदगी और बारिश से बचाने के लिए कवर करके रखा जाता है।

जब शक्कर बाजार के गोदामों (वेयरहाउस) में पहुँचती है, तो वहां पर इसे दोबारा जांचा जाता है कि कहीं पैकेट्स में कोई नुकसान तो नहीं हुआ। इसके बाद दुकानदारों और सुपरमार्केट्स को उनकी जरूरत के हिसाब से शक्कर भेजी जाती है। छोटे दुकानों में 1 किलो, 5 किलो या 10 किलो के पैकेट्स भेजे जाते हैं, जबकि बड़े स्टोर्स और होलसेल मार्केट में बड़ी मात्रा में शक्कर की आपूर्ति होती है।

शक्कर की समय पर और सुरक्षित डिलीवरी बहुत जरूरी होती है, ताकि ग्राहक जब इसे खरीदें तो वह एकदम ताजी और साफ दिखे। कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए भी शक्कर सीधे ग्राहकों तक पहुँचाई जाती है। इस पूरी प्रक्रिया में सफाई, समयबद्धता और सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है, ताकि हर किसी तक उच्च गुणवत्ता वाली शक्कर सही समय पर पहुँच सके।

Last Words –

शक्कर हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उपयोग हम चाय, मिठाइयों और अन्य खाने-पीने की चीजों में करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शक्कर बनती कैसे है? गन्ने की खेती से लेकर फैक्ट्री में प्रोसेसिंग, शुद्धिकरण, सुखाने, पॉलिशिंग, गुणवत्ता जांच, पैकिंग और अंत में बाजार तक पहुँचाने की पूरी प्रक्रिया बेहद रोचक और सावधानीपूर्वक होती है। हर कदम पर शक्कर की गुणवत्ता और सफाई का खास ध्यान रखा जाता है ताकि उपभोक्ताओं को शुद्ध, सुरक्षित और स्वादिष्ट शक्कर मिल सके। आशा है कि इस लेख को पढ़कर आपको शक्कर बनने की पूरी प्रक्रिया आसानी से समझ में आ गई होगी।

Que 1. शक्कर किस फसल से बनाई जाती है?

Ans.शक्कर मुख्य रूप से गन्ने से बनाई जाती है। कुछ जगहों पर शक्कर चुकंदर से भी बनाई जाती है।

Que 2. शक्कर को सफेद और चमकदार कैसे बनाया जाता है?

Ans. शक्कर को साफ करने और सफेद रंग देने के लिए उसे रसायन-रहित साफ-सफाई की प्रक्रिया से गुजारा जाता है और फिर पॉलिशिंग की जाती है।

Que 3. क्या शक्कर बनाने में किसी रसायन का इस्तेमाल होता है?

Ans. शुद्ध शक्कर बनाने के लिए किसी हानिकारक रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। केवल सुरक्षित और खाने योग्य पदार्थों का प्रयोग होता है।

Que 4. शक्कर को खराब होने से कैसे बचाया जाता है?

Ans. शक्कर को नमी और गंदगी से बचाने के लिए इसे अच्छे से सुखाया जाता है और एयरटाइट पैकेजिंग में पैक किया जाता है।

Que 5. शक्कर कितने समय तक सुरक्षित रहती है?

Ans. अगर शक्कर को सूखी और ठंडी जगह पर सही तरीके से स्टोर किया जाए, तो यह कई महीनों तक सुरक्षित रहती है।

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