नमस्कार दोस्तों जब भी हम मीठा खाने का सोचते हैं तो सबसे पहला नाम Dairy Milk Chocolate का आता है। इसकी क्रीमी और मिल्की स्वाद ने इसे हर उम्र के लोगों की पसंद बना दिया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह स्वादिष्ट चॉकलेट कैसे बनती है? जो चॉकलेट हम बड़ी खुशी से खाते हैं, वह फैक्ट्री में किस तरह तैयार की जाती है? कैसे कोको, दूध और शक्कर मिलकर इतनी शानदार चॉकलेट बनाते हैं? अगर आपके मन में भी ये सवाल हैं, तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं!
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आज हम आपको डेयरी मिल्क चॉकलेट बनने की पूरी प्रक्रिया बताएंगे, वो भी इतनी आसान भाषा में कि आप इसे मजे से समझ सकें। तो चलिए, बिना समय गंवाए जानते हैं कि हमारी पसंदीदा चॉकलेट कैसे बनती है और कैसे यह हमारे हाथों तक पहुंचती है!
Dairy Milk क्या होता है ?
डेयरी मिल्क एक मशहूर चॉकलेट है जिसे छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोग तक पसंद करते हैं। यह स्वाद में मीठा और क्रीमी होता है, जिससे इसे खाने का मजा और भी बढ़ जाता है। डेयरी मिल्क चॉकलेट को कोको बीन्स, दूध, चीनी और अन्य सामग्रियों से बनाया जाता है। इसे बनाने वाली कंपनी कैडबरी है, जो दुनिया की सबसे बड़ी चॉकलेट बनाने वाली कंपनियों में से एक है।

जब भी हमें मीठा खाने का मन करता है, तो सबसे पहले चॉकलेट का नाम दिमाग में आता है। खासकर जब बात डेयरी मिल्क की हो, तो इसका क्रीमी स्वाद हर किसी को खुश कर देता है। यह अलग-अलग साइज और फ्लेवर में मिलती है, जैसे कि बादाम, किशमिश, हेज़लनट और कैरामेल। बाजार में इसे आसानी से खरीदा जा सकता है, और यह बच्चों की सबसे पसंदीदा चॉकलेट में से एक मानी जाती है।
इस चॉकलेट का नाम “डेयरी मिल्क” इसलिए रखा गया क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में दूध होता है, जो इसे और भी ज्यादा क्रीमी और स्वादिष्ट बनाता है। इसे बनाने के लिए खास प्रोसेस अपनाया जाता है, जिससे इसका स्वाद लंबे समय तक बरकरार रहता है। इसके रैपर को भी खास तरीके से डिजाइन किया जाता है, ताकि यह दिखने में आकर्षक लगे और लोगों को खरीदने का मन करे।
डेयरी मिल्क सिर्फ एक चॉकलेट ही नहीं, बल्कि खुशियों का हिस्सा भी है। इसे लोग तोहफे के रूप में भी देते हैं और खास मौकों पर खाते हैं। जब भी हम इसे खाते हैं, तो इसका मीठा स्वाद हमें खुशी और ताजगी का अहसास कराता है।
Dairy Milk बनाने की सामग्री
डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाने के लिए कई तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इसका स्वाद इतना लाजवाब बनता है। सबसे जरूरी सामग्री होती है कोको बीन्स, जो चॉकलेट का मुख्य हिस्सा होते हैं। ये बीन्स पेड़ों पर उगते हैं और इन्हें खास तरीके से सुखाकर चॉकलेट बनाने के लिए तैयार किया जाता है। कोको बीन्स से ही चॉकलेट का खास गहरा स्वाद आता है।

इसके अलावा, डेयरी मिल्क में दूध डाला जाता है, जिससे यह क्रीमी और मुलायम बनती है। ताजा दूध को अच्छे से प्रोसेस करके इसमें मिलाया जाता है ताकि चॉकलेट का स्वाद और ज्यादा अच्छा हो जाए। दूध की वजह से चॉकलेट स्मूद और हल्की मीठी लगती है, जिससे इसे खाने में ज्यादा मजा आता है।
चीनी भी डेयरी मिल्क का एक अहम हिस्सा होती है। यह चॉकलेट को मीठा बनाती है, ताकि इसे हर उम्र के लोग पसंद करें। चीनी को सही मात्रा में मिलाया जाता है ताकि चॉकलेट बहुत ज्यादा मीठी या फीकी न लगे। सही बैलेंस ही इसे परफेक्ट टेस्ट देता है।
इसके अलावा, इसमें कोको बटर डाला जाता है, जो इसे मुलायम और चिकना बनाता है। यह चॉकलेट को पिघलने से बचाने में भी मदद करता है और इसे लंबे समय तक ताजा रखता है। कुछ फ्लेवर्स में ड्राय फ्रूट्स, नट्स और कैरामेल भी मिलाए जाते हैं, जिससे चॉकलेट का स्वाद और भी मजेदार हो जाता है।
इन सभी सामग्रियों को खास तरीके से मिलाया जाता है और फिर एक लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बाद डेयरी मिल्क तैयार होती है, जो सभी की पसंदीदा चॉकलेट बन जाती है।
दूध से Chocolate बनाने की शुरुआत
जब डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाई जाती है, तो इसकी शुरुआत दूध और कोको बीन्स को तैयार करने से होती है। सबसे पहले ताजा दूध को इकट्ठा किया जाता है और इसे खास मशीनों में साफ किया जाता है, ताकि इसमें कोई भी अशुद्धि न रहे। दूध को ठंडा किया जाता है ताकि यह ताजा बना रहे और चॉकलेट में सही स्वाद ला सके।

दूसरी तरफ, कोको बीन्स को खेतों से इकट्ठा किया जाता है और उन्हें अच्छी तरह सुखाया जाता है। जब ये बीन्स पूरी तरह सूख जाते हैं, तब इन्हें बड़ी मशीनों में डालकर भुना जाता है। भूनने से इनका स्वाद और भी गहरा और सुगंधित हो जाता है। इसके बाद बीन्स के छिलके हटाए जाते हैं और अंदर का गूदा निकाला जाता है, जिसे कोको निब्स कहते हैं। ये निब्स ही असली चॉकलेट बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
अब दूध और कोको निब्स को मिलाने की प्रक्रिया शुरू होती है। पहले दूध को गर्म करके गाढ़ा किया जाता है, ताकि इसमें मिठास और क्रीमी टेक्सचर आ सके। फिर इसे कोको निब्स के साथ मिलाया जाता है और धीरे-धीरे मिक्स किया जाता है। इस मिश्रण में चीनी और कोको बटर भी डाला जाता है ताकि चॉकलेट का स्वाद और स्मूदनेस बढ़े।
यह पहला स्टेप होता है, जिससे डेयरी मिल्क चॉकलेट की शुरुआत होती है। इसके बाद इसे और प्रोसेस किया जाता है, जिससे यह खाने के लिए तैयार हो सके। दूध और कोको का यह मेल ही डेयरी मिल्क को इतना खास बनाता है, जिसे हर कोई पसंद करता है।
दूध को कैसे प्रोसेस किया जाता है
डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाने के लिए दूध को खास तरीके से प्रोसेस किया जाता है ताकि यह शुद्ध, ताजा और चॉकलेट के लिए उपयुक्त हो सके। सबसे पहले दूध को बड़े कंटेनरों में इकट्ठा किया जाता है और उसे ठंडा किया जाता है, ताकि उसकी ताजगी बनी रहे। इसके बाद दूध को साफ करने की प्रक्रिया शुरू होती है, जिसे “पाश्चराइजेशन” कहा जाता है।

पाश्चराइजेशन में दूध को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है और फिर जल्दी से ठंडा किया जाता है। इससे दूध में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और यह लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। यह प्रक्रिया दूध को चॉकलेट के लिए तैयार करने का एक जरूरी हिस्सा होती है।
इसके बाद दूध को सुखाने की प्रक्रिया की जाती है, जिसे “कंडेंसिंग” कहते हैं। इसमें दूध को धीरे-धीरे गर्म करके उसका पानी निकाल दिया जाता है, जिससे यह गाढ़ा और क्रीमी बन जाता है। यह गाढ़ा दूध चॉकलेट को ज्यादा स्वादिष्ट और मुलायम बनाने में मदद करता है। कुछ मामलों में इसे पाउडर के रूप में भी बदल दिया जाता है, जिससे इसे आसानी से चॉकलेट में मिलाया जा सके।
जब दूध पूरी तरह से प्रोसेस हो जाता है, तो इसे स्टोर करके रखा जाता है और बाद में चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया में मिलाया जाता है। इस तरह, दूध की सही प्रोसेसिंग से डेयरी मिल्क को उसका खास स्वाद और मुलायम टेक्सचर मिलता है, जो हर किसी को पसंद आता है।
कोको बीन्स कैसे तैयार किए जाते हैं
डेयरी मिल्क चॉकलेट का असली स्वाद कोको बीन्स से आता है। ये बीन्स कोको के पेड़ से मिलते हैं, जो ज्यादातर अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में उगते हैं। कोको फल बड़े, ओवल आकार के होते हैं और इनके अंदर छोटे-छोटे बीज होते हैं, जिन्हें कोको बीन्स कहा जाता है।

जब कोको फल पूरी तरह से पक जाते हैं, तो उन्हें ध्यान से तोड़ा जाता है और उनके अंदर से बीज निकाल लिए जाते हैं। ये बीज कच्चे होते हैं, इसलिए इन्हें पहले खास तरीके से सुखाया जाता है। इस प्रक्रिया को “फरमेंटेशन” कहा जाता है, जिसमें बीजों को कुछ दिनों तक प्राकृतिक रूप से रखा जाता है, ताकि उनका कड़वापन कम हो जाए और उनमें चॉकलेट जैसी खुशबू आ सके।
इसके बाद कोको बीन्स को धूप में फैलाकर कई दिनों तक सुखाया जाता है। इस दौरान वे गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं और उनका स्वाद और भी अच्छा हो जाता है। जब बीन्स पूरी तरह सूख जाते हैं, तो उन्हें साफ करके बोरियों में भर लिया जाता है और चॉकलेट फैक्ट्रियों तक भेज दिया जाता है।

फैक्ट्री में पहुंचने के बाद इन बीन्स को बड़े-बड़े ओवन में भुना जाता है। भूनने से इनका स्वाद और सुगंध और भी बढ़ जाता है। इसके बाद उनके सख्त छिलके हटाए जाते हैं और अंदर के छोटे टुकड़ों को अलग किया जाता है, जिन्हें “कोको निब्स” कहा जाता है। यही निब्स चॉकलेट बनाने में सबसे जरूरी होते हैं और आगे की प्रक्रिया में इस्तेमाल किए जाते हैं।
Chocolate का स्वाद कैसे बढ़ता है
चॉकलेट का स्वाद बनाने के लिए सिर्फ कोको बीन्स और दूध ही काफी नहीं होते, बल्कि इसे और भी बेहतर बनाने के लिए खास प्रक्रिया अपनाई जाती है। जब कोको बीन्स से कोको निब्स निकाल लिए जाते हैं, तो इन्हें बड़ी-बड़ी मशीनों में डालकर पीसा जाता है। इस प्रक्रिया में कोको निब्स से एक गाढ़ा और चिकना पदार्थ निकलता है, जिसे “कोको लिकर” कहा जाता है। हालांकि इसका नाम लिकर है, लेकिन इसमें कोई शराब नहीं होती। यह असली चॉकलेट का गाढ़ा रूप होता है।

इसके बाद चॉकलेट का स्वाद और बेहतर करने के लिए इसमें कोको बटर, दूध और चीनी मिलाई जाती है। इन सभी चीजों को मिलाने के बाद इसे खास मशीनों में लगातार कई घंटों तक घुमाया जाता है। इस प्रक्रिया को “कॉनचिंग” कहा जाता है। कॉनचिंग से चॉकलेट का स्वाद और भी स्मूद और रिच हो जाता है। इससे उसकी कड़वाहट कम होती है और उसमें एक बढ़िया सुगंध भी आती है।
इसके अलावा, चॉकलेट में स्वाद बढ़ाने के लिए कभी-कभी थोड़ा सा वैनिला भी मिलाया जाता है। वैनिला से चॉकलेट का टेस्ट और ज्यादा अच्छा हो जाता है और इसे खाने पर एक मीठी और मनभावन खुशबू आती है। कुछ फ्लेवर में बादाम, किशमिश, हेज़लनट और कैरामेल भी डाला जाता है, जिससे चॉकलेट का मजा दोगुना हो जाता है।

जब सारी सामग्री अच्छी तरह से मिल जाती है और चॉकलेट पूरी तरह से चिकनी और स्वादिष्ट बन जाती है, तब इसे ठंडा करने की प्रक्रिया शुरू होती है। ठंडा होने पर यह जमने लगती है और खाने के लिए तैयार हो जाती है। यही प्रक्रिया चॉकलेट को उसका अनोखा स्वाद और शानदार टेक्सचर देती है, जिसे हर कोई पसंद करता है।
Chocolate को सही आकार कैसे दिया जाता है
जब चॉकलेट का मिश्रण पूरी तरह से तैयार हो जाता है, तो उसे सही आकार देने की प्रक्रिया शुरू होती है। इस प्रक्रिया में सबसे पहले चॉकलेट को पिघलाकर एकदम तरल रूप में लाया जाता है, ताकि इसे आसानी से किसी भी आकार में ढाला जा सके।

अब इस पिघली हुई चॉकलेट को मोल्ड (ढांचे) में डाला जाता है। ये मोल्ड्स अलग-अलग आकार और डिजाइन के होते हैं, जिससे चॉकलेट को मनचाहा शेप दिया जा सकता है। डेयरी मिल्क चॉकलेट के लिए खास चौकोर और पतले मोल्ड्स इस्तेमाल किए जाते हैं, जिससे वह खाने में आसानी हो और हर बाइट में स्मूदनेस महसूस हो।
मोल्ड्स में चॉकलेट डालने के बाद उन्हें हल्के-हल्के हिलाया जाता है, जिससे कोई भी हवा का बुलबुला न रहे और चॉकलेट एकदम सही बने। इसके बाद इन मोल्ड्स को ठंडा करने के लिए एक खास कमरे में रखा जाता है, जिसे “कूलिंग चेंबर” कहते हैं। यहां चॉकलेट धीरे-धीरे ठंडी होकर सख्त हो जाती है और अपना परफेक्ट आकार ले लेती है।

जब चॉकलेट पूरी तरह से जम जाती है, तो इसे मोल्ड से बाहर निकाल लिया जाता है और फिर इसे चमकदार बनाने के लिए हल्का सा पॉलिश किया जाता है। यह पॉलिशिंग चॉकलेट को आकर्षक बनाती है और उसे एकदम स्मूद लुक देती है।
अब चॉकलेट अपने सही आकार में आ चुकी होती है और अगली प्रक्रिया यानी पैकिंग के लिए तैयार हो जाती है। इस तरह चॉकलेट को खूबसूरत और खाने लायक शेप देने की पूरी प्रक्रिया पूरी होती है।
Chocolate की Packing कैसे की जाती है
जब चॉकलेट सही आकार में बनकर तैयार हो जाती है, तो उसे सुरक्षित रखने और ताज़ा बनाए रखने के लिए अच्छी तरह से पैक किया जाता है। पैकिंग न केवल चॉकलेट को धूल और नमी से बचाती है, बल्कि उसे आकर्षक भी बनाती है ताकि लोग उसे खरीदने के लिए आकर्षित हों।

सबसे पहले, चॉकलेट को एक बेल्ट पर रखा जाता है, जो उसे पैकिंग मशीन तक ले जाती है। यहां चॉकलेट को एक खास रैपर में लपेटा जाता है। यह रैपर अक्सर चमकीले और आकर्षक डिजाइन के होते हैं, जिन पर ब्रांड का नाम, चॉकलेट की जानकारी और उसकी सामग्री लिखी होती है।
कुछ चॉकलेट्स को पहले पतले सिल्वर या गोल्ड फॉयल में लपेटा जाता है और फिर उसके ऊपर कागज या प्लास्टिक का कवर चढ़ाया जाता है। यह दोहरी पैकिंग चॉकलेट को ताजगी बनाए रखने में मदद करती है और इसे पिघलने से भी बचाती है।
इसके बाद, इन पैक की गई चॉकलेट्स को बड़े-बड़े बॉक्स में रखा जाता है। हर बॉक्स में कई चॉकलेट बार्स होती हैं, जिन्हें दुकानों तक पहुंचाने के लिए तैयार किया जाता है। इस दौरान हर पैकेट की जांच की जाती है कि कहीं कोई नुकसान या खराबी तो नहीं है।
जब पैकिंग पूरी हो जाती है, तो चॉकलेट को ट्रकों में लोड करके सुपरमार्केट, दुकानों और अन्य स्थानों तक भेजा जाता है, जहां से लोग इसे खरीद सकते हैं। इस तरह पैकिंग चॉकलेट को सुरक्षित रखती है और हर किसी तक इसे स्वादिष्ट और ताजगी भरे रूप में पहुंचाने में मदद करती है।
Chocolate की Quality कैसे जांची जाती है
जब चॉकलेट पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाती है, तो उसे बेचने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करना बहुत जरूरी होता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि चॉकलेट का स्वाद, बनावट और पैकिंग सबकुछ सही है और ग्राहकों तक केवल अच्छी और स्वादिष्ट चॉकलेट ही पहुंचे।

सबसे पहले, चॉकलेट को उसकी बनावट और रंग के आधार पर जांचा जाता है। अच्छी चॉकलेट का रंग गहरा भूरा और सतह चमकदार होती है। अगर चॉकलेट पर सफेद दाग दिखते हैं या वह ज्यादा सख्त या चिपचिपी लगती है, तो समझा जाता है कि कुछ गड़बड़ हो सकती है।
इसके बाद, चॉकलेट का स्वाद और खुशबू परखी जाती है। इसके लिए कुछ विशेषज्ञ चॉकलेट को टेस्ट करते हैं। वे इसका एक छोटा टुकड़ा खाते हैं और देखते हैं कि वह मुंह में धीरे-धीरे पिघलती है या नहीं। अच्छी चॉकलेट में एक हल्की मिठास होती है और उसका स्वाद लंबे समय तक बना रहता है।
फिर, मशीनों की मदद से चॉकलेट के अंदर किसी भी खराबी की जांच की जाती है। अगर कोई पैकेट ठीक से सील नहीं हुआ हो या चॉकलेट का वजन कम-ज्यादा हो, तो उसे अलग कर दिया जाता है।
अंत में, हर चॉकलेट बैच से कुछ पैकेट लिए जाते हैं और उनकी वैज्ञानिक जांच की जाती है, ताकि यह पक्का हो सके कि उनमें कोई हानिकारक पदार्थ नहीं है और वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं। जब चॉकलेट सभी जांचों में पास हो जाती है, तभी उसे बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है।
Chocolate बाजार तक कैसे पहुंचती है
जब चॉकलेट की गुणवत्ता की पूरी तरह से जांच हो जाती है और वह पैक होकर तैयार हो जाती है, तो अगला कदम उसे दुकानों और बाजारों तक पहुंचाने का होता है। यह एक बहुत ही जरूरी प्रक्रिया होती है, ताकि हर कोई आसानी से अपनी पसंदीदा चॉकलेट खरीद सके।

सबसे पहले, चॉकलेट को बड़े-बड़े कार्टन बॉक्स में रखा जाता है। इन बॉक्स में कई चॉकलेट बार्स होती हैं, ताकि उन्हें एक साथ ले जाया जा सके। इन बॉक्स को ट्रकों में लोड किया जाता है और फिर उन्हें अलग-अलग शहरों और दुकानों तक पहुंचाया जाता है। कुछ चॉकलेट्स को जहाज या हवाई जहाज के जरिए दूसरे देशों में भी भेजा जाता है।
जब चॉकलेट दुकानों तक पहुंच जाती है, तो उन्हें दुकानदार ध्यान से स्टोर में रखते हैं। कुछ चॉकलेट को ठंडी जगह पर रखा जाता है ताकि वे गर्मी में न पिघलें। सुपरमार्केट और बड़े स्टोर में चॉकलेट को अच्छी तरह से सजाया जाता है, ताकि ग्राहक उन्हें आसानी से देख सकें और खरीद सकें।
इसके अलावा, कई चॉकलेट कंपनियां ऑनलाइन बिक्री भी करती हैं। इसका मतलब है कि लोग घर बैठे भी चॉकलेट ऑर्डर कर सकते हैं और कुछ ही दिनों में वह उनके घर पहुंच जाती है।
इस पूरी प्रक्रिया में यह ध्यान रखा जाता है कि चॉकलेट ताजा और स्वादिष्ट बनी रहे। सही तापमान और सफाई का खास ख्याल रखा जाता है, ताकि ग्राहकों को हमेशा अच्छी क्वालिटी की चॉकलेट मिले। इस तरह, फैक्ट्री से लेकर दुकानों तक, हर कदम पर चॉकलेट को सुरक्षित और स्वादिष्ट बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत की जाती है।
Last Word –
अब तक हमने जाना कि डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाने की पूरी प्रक्रिया कितनी दिलचस्प और मेहनत भरी होती है। यह सिर्फ दूध, कोको और शक्कर मिलाने से नहीं बनती, बल्कि इसके लिए कई खास तकनीकों और सावधानियों की जरूरत होती है। शुरुआत में दूध और कोको से मिश्रण तैयार किया जाता है, फिर उसे सही आकार दिया जाता है और अच्छी तरह से पैक किया जाता है। इसके बाद गुणवत्ता की जांच की जाती है और अंत में चॉकलेट को बाजार तक पहुंचाया जाता है।
हर कदम पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि चॉकलेट स्वादिष्ट, ताजा और सुरक्षित बनी रहे। यही वजह है कि जब भी हम डेयरी मिल्क खाते हैं, तो उसका स्वाद एकदम परफेक्ट और मजेदार लगता है। तो अगली बार जब आप चॉकलेट खाएं, तो याद रखें कि इसे आपके लिए इतने प्यार और मेहनत से तैयार किया गया है!
Que 1. डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाने में कितना समय लगता है?
Ans. डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाने की पूरी प्रक्रिया में आमतौर पर कुछ घंटे से लेकर एक दिन तक का समय लग सकता है, क्योंकि इसमें सामग्री मिलाने, ठंडा करने और पैकिंग करने के कई चरण होते हैं।
Que 2. डेयरी मिल्क में कौन-कौन सी चीजें मिलाई जाती हैं?
Ans. डेयरी मिल्क चॉकलेट में मुख्य रूप से दूध, कोकोआ पाउडर, शक्कर, कोकोआ बटर और कुछ खास फ्लेवरिंग एजेंट मिलाए जाते हैं, जो इसे खास स्वाद देते हैं।
Que 3. क्या घर पर डेयरी मिल्क चॉकलेट बनाई जा सकती है?
Ans. घर पर डेयरी मिल्क जैसी चॉकलेट बनाना मुश्किल होता है, क्योंकि इसमें बहुत खास मशीनों और प्रक्रियाओं की जरूरत होती है। लेकिन आप घर पर कोको पाउडर, दूध और शक्कर से अपनी खुद की चॉकलेट बना सकते हैं।
Que 4. चॉकलेट को खराब होने से कैसे बचाया जाता है?
Ans. चॉकलेट को ठंडी और सूखी जगह पर रखने से यह ज्यादा समय तक ताजा रहती है। बहुत गर्मी में रखने से यह पिघल सकती है और स्वाद में बदलाव आ सकता है।
Que 5. डेयरी मिल्क चॉकलेट कहां बनाई जाती है?
Ans. डेयरी मिल्क चॉकलेट कई देशों में बनती है, लेकिन इसे बनाने का मुख्य कारखाना कैडबरी कंपनी का है, जो कई जगहों पर अपनी फैक्ट्रियां चलाती है।